राजस्थान के जयपुर जिले के मालपुरा ब्लॉक में चांदसैन पंचायत के ग्राम कुमावतो की सरला की ढाणी में उन्नत कृषि तकनीक और विधियों पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। इस ट्रेनिंग प्रोग्रम में कृषि विशेषज्ञ डॉ अनिल थदानी जने प्रशिक्षण में भाग लेने वाले किसानों को जीवामृत बनाने के लिए और उसके फायदे के बारे में विस्तार से बताया।
बंजर भूमी की रोकथाम
सिकोइडिकोन शाखा प्रभारी विवेक कुमार त्रिपाठी जी ने जैविक खेती अपनाने के लिए किसान भाइयों को फर्टिलाइजर के दुष्प्रभाव के बारे में प्रशिक्षण में अपने अनुभव से बताया कि अधिक पैदावार के चक्कर में बंजर भूमि हो रही है इसकी रोकथाम के लिए जैविक खाद का ही उपयोग करें।
Face book link: https://www.facebook.com/profile.php?id=61560912995040
जैविक खेती के प्रति बढ़ाए अपनी समझ
किसान सेवा समिति सदस्य गुलाब देवी चांदसेन ने बताया कि किसानों को जैविक खेती अपनाने के प्रति अपनी समझ बनानी होगी और सरकार द्वारा सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए कृषि पर्यवेक्षक एवं कृषि विभाग से अनुदान पर दी जाने वाली योजनाओं का लाभ लेने के लिए जानकारी दी । इसके साथ ही किसानों को फसल बीमा के बारे में जानकारी संस्था समन्वयक मोहन मीणा ने किसानों खेती-बाड़ी में जैविक खेती के लिए रासायनिक कीटनाशकों एवं फर्टिलाइजर का उपयोग नहीं करने पर अपने विचार रखे। आजीविका के लिए अपने खेत में फलदार पौधे एवं सब्जियां लगाने पर ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने के लिए प्रेरित किया आज के प्रशिक्षण में ग्राम विकास समिति की अध्यक्ष आचूकी कुमावत ने सभी किसानों को जीवामृत बनाने वाली विधि से खेती करने के लिए अपने विचार रखे चांदसैन , कुमावत ढाणी, सरला ढाणी से प्रशिक्षण में आज 45 किसानों ने भाग लिया। इसके साथ ही महिला किसानों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
ये भी पढ़ें: Haryana Vidhan Sabha Chunav Result 2024: हरियाणा के चुनाव में क्या रही किसान और युवाओं की भूमिका?
सम्पर्क सूत्र– प्रिय मित्रों अगर आप हमारे साथ अपनी और आसपास की कहानियां या किस्से शेयर करना चाहते हैं तो हमारे कॉलिंग नंबर 96690 12493 पर कॉल कर करके या फिर thestorywindow1@gmail.com पर ईमेल के जरिए भेज सकते हैं. इसके अलावा आप अपनी बात को रिकॉर्ड करके भी हमसे शेयर कर सकते हैं। The Story Window के जरिए हम आपकी बात लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हम मानते हैं कि खुशियां बांटने से बढ़ती हैं।