राजस्थान के किसान राधे श्याम रत्तीवाल ने अपनाई डिग्गी पद्धति ,जानिए कितना हुआ फायदा

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राजस्थान के सूखे और पानी की कमी वाले इलाकों में एक किसान ने अपनी मेहनत और समझ से न सिर्फ अपनी ज़िंदगी को बदल दिया, बल्कि उन किसानों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है जो जल संकट से जूझ रहे हैं। राजस्थान के किसान राधे श्याम रत्तीवाल ने जल संरक्षण, डिग्गी पद्धति और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाकर अपने खेतों में शानदार बदलाव किया है। आज वह अपनी सख्त मेहनत और पर्यावरणीय समझ के साथ अपने क्षेत्र में कृषि के क्षेत्र में एक प्रेरणा बन चुके हैं।

जल संकट से निपटने के लिए डिग्गी पद्धति

राजस्थान में जल की गंभीर कमी के कारण किसान कृषि में कई कठिनाइयों का सामना करते हैं। लेकिन राधे श्याम रत्तीवाल ने एक पुराने और प्रभावी तरीके का उपयोग किया है— डिग्गी या पानी संकलन तालाब का निर्माण। यह तालाब वर्षा के पानी को संचित करने का एक पारंपरिक तरीका है, जिससे वर्ष भर खेती के लिए जल की उपलब्धता बनी रहती है। राधेश्याम ने यह सुनिश्चित किया कि उनका फार्म बारिश के पानी का अधिकतम उपयोग कर सके, ताकि शुष्क महीनों में भी उनकी फसलें ठीक से सिंचाई हो सकें।

राधे श्याम रत्तीवाल का कहना है, “मैंने डिग्गी बनाई ताकि मैं बारिश के पानी को संचित कर सकूं। इससे मुझे साल भर खेती करने में मदद मिलती है।”

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सरकार की मदद: डिग्गी योजना का लाभ

राधे श्याम रत्तीवाल की सफलता के पीछे सरकार की डिग्गी योजना का भी बड़ा हाथ है। यह योजना राज्य सरकार ने शुरू की है, जिसमें किसानों को पानी संकलन तालाब बनाने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत किसान ₹3,00,000 से ₹3,40,000 तक की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे वे डिग्गी का निर्माण कर सकते हैं। राधेश्याम ने इस योजना का लाभ उठाया और अपनी ज़मीन पर पानी संकलन तालाब का निर्माण किया।

राधेश्याम कहते हैं, “सरकार की सब्सिडी ने मुझे डिग्गी बनाने के लिए सक्षम बनाया। अगर यह सहायता नहीं मिलती, तो यह एक बहुत बड़ा खर्च होता।”

पशुपालन और कृषि का संयोजन

राधेश्याम राखीवाल ने सिर्फ जल संरक्षण ही नहीं किया, बल्कि अपने फार्म की आर्थिक स्थिरता के लिए पशुपालन को भी अपने कृषि कार्य में जोड़ा। वह बकरियां और गाय पालते हैं, जो न सिर्फ दूध, मांस और ऊन का स्रोत हैं, बल्कि उनकी फसलों के लिए जैविक खाद भी प्रदान करती हैं। पशुपालन और कृषि का संयोजन उन्हें अतिरिक्त आय प्रदान करता है और फसलों के लिए प्राकृतिक उर्वरक का काम करता है।

राधेश्याम का कहना है, “पशुपालन ने मेरी फसल उत्पादन क्षमता को बढ़ाया है। बकरियों से मिलने वाली खाद से मेरी जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ी है।”

राधेश्याम की सफलता से प्रेरित किसान

राधे श्याम रत्तीवाल की सफलता ने आसपास के किसानों को भी प्रेरित किया है। स्थानीय किसान सुरेश कुमार, जो अब अपनी ज़मीन पर पानी संकलन तालाब बना चुके हैं, कहते हैं, “राधेश्याम भाई की सफलता ने मुझे भी डिग्गी बनाने के लिए प्रेरित किया। अब मुझे पानी की चिंता नहीं रहती, क्योंकि बारिश के पानी का संग्रह करने के लिए मेरे पास एक प्रणाली है। यह सचमुच में बदलाव लाने वाला कदम है।”

राधेश्याम का मानना है कि अगर किसान एक साथ मिलकर काम करें और अपनी समझ साझा करें, तो वे जल संकट को मात दे सकते हैं और अपनी जमीन से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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राजस्थान में जल संरक्षण के आंकड़े

राजस्थान में जल संरक्षण के प्रयासों का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में लगभग 20,000 किसानों ने डिग्गी योजना का लाभ उठाया है, जिससे उनकी फसलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और जल की खपत में कमी आई है। इसके अलावा, बारिश के पानी को संचित करने से न सिर्फ जल की उपलब्धता बढ़ी है, बल्कि किसानों को सिंचाई के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

जल संरक्षण के उपाय: किसानों के लिए मार्गदर्शन

राधेश्याम राखीवाल की तरह जल संरक्षण के उपायों को अपनाने के लिए किसानों को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  1. सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं: किसान राज्य या राष्ट्रीय योजनाओं, जैसे डिग्गी योजना या वर्षा जल संचयन सब्सिडी, का लाभ उठा सकते हैं। ये योजनाएं पानी संकलन तालाब बनाने में सहायता प्रदान करती हैं।
  2. वर्षा जल संचयन प्रणाली बनवाएं: एक साधारण वर्षा जल संचयन प्रणाली, जैसे कि डिग्गी या छोटे तालाबों का निर्माण, पानी की उपलब्धता को बढ़ा सकता है।
  3. कृषि में विविधता लाएं: फसलों के साथ-साथ पशुपालन को भी अपने कृषि व्यवसाय में शामिल करें। इससे अतिरिक्त आय मिलती है और मृदा की उर्वरता में सुधार होता है।
  4. शेयर और शिक्षा: किसानों को जल संरक्षण और कृषि पद्धतियों के बारे में कार्यशालाओं में भाग लेना चाहिए, जहां वे अपने अनुभवों को साझा कर सकते हैं।
  5. पर्यावरण के अनुकूल तरीके अपनाएं: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय जैविक खेती और खाद का प्रयोग करें।

भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण

राधेश्याम राखीवाल का लक्ष्य सिर्फ अपनी जमीन में सुधार लाना नहीं है, बल्कि वह और अन्य किसानों के लिए एक उदाहरण पेश करना चाहते हैं। उनका मानना है कि अगर हम सभी जल संरक्षण और समग्र कृषि पद्धतियों को अपनाएं, तो राजस्थान की कृषि को नया जीवन मिल सकता है। राधेश्याम कहते हैं, “अगर हम एकजुट होकर इन पद्धतियों को अपनाएं, तो हम अपने प्रदेश के जल संकट को हल कर सकते हैं।”

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