नेपाल हिंसा ने भारत में छेड़ी राजनीतिक बहस, विपक्ष पर आरोप और सोशल मीडिया पर चर्चा

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काठमांडू/नई दिल्ली: नेपाल में पिछले दिनों हुई हिंसा ने पूरे दक्षिण एशिया में चिंता बढ़ा दी है। राजधानी काठमांडू से लेकर कई अन्य शहरों तक फैले प्रदर्शनों ने अचानक उग्र रूप ले लिया। युवाओं का गुस्सा सड़कों पर फूटा, कई इमारतें जल गईं और पुलिस के साथ भिड़ंत में कई जानें चली गईं। इस अस्थिरता ने न केवल नेपाल की राजनीति को हिला दिया, बल्कि भारत में भी इसकी गूँज सुनाई दे रही है।

नेपाल में क्या हुआ?

नेपाल के विभिन्न शहरों में हज़ारों लोग बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और बढ़ती महँगाई के खिलाफ सड़कों पर उतरे। शुरुआत शांतिपूर्ण रैलियों से हुई, लेकिन जल्द ही हालात बिगड़ गए। सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में कई लोग घायल हुए। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब तक दो दर्जन से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह विरोध केवल आर्थिक असंतोष नहीं, बल्कि सरकार पर भरोसे में आई दरार को भी दिखाता है।

भारत में क्यों उठी बहस?

पड़ोसी देश में हुई इस हिंसा का सीधा असर भारतीय राजनीति पर दिखा। सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, नेपाल जैसी अराजकता का “मॉडल” भारत में लागू करना चाहते हैं। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में कहा कि विपक्ष “टूलकिट” के ज़रिए युवाओं को भड़काने की रणनीति पर काम कर रहा है।

ये आरोप गंभीर हैं, लेकिन अब तक इनके ठोस सबूत सामने नहीं आए हैं। विपक्ष की ओर से भी इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की चुप्पी पर सियासी हलकों में अटकलें ज़रूर लग रही हैं, लेकिन फिलहाल यह मुद्दा केवल आरोपों तक ही सीमित है।

सोशल मीडिया का रोल

नेपाल की घटनाओं के बाद भारतीय सोशल मीडिया पर #NepalProtests और #RahulGandhi जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई यूज़र्स ने नेपाल की सड़कों पर हो रही हिंसा के वीडियो शेयर किए और तुलना भारत की मौजूदा राजनीतिक स्थिति से की। कुछ पोस्टों में कहा गया कि भारत को भी ऐसे आंदोलनों की ज़रूरत है, जबकि कई लोग इससे सख्त असहमति जता रहे हैं।

इसी बहस के बीच एक यूट्यूब वीडियो ने भी काफी सुर्खियाँ बटोरी हैं:
👉 Nepal Violence EXPOSED! Rahul Gandhi And Akhilesh Yadav’s Hidden Agenda

वीडियो में आरोप लगाया गया है कि विपक्ष नेपाल जैसी परिस्थितियाँ भारत में बनाने की कोशिश कर रहा है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रहा है और बहस को और तेज़ कर रहा है।

पूरा वीडियो यहाँ देखा जा सकता है:
🔗 https://www.youtube.com/watch?v=eYN6Hi_nCB0

जनता की राय में बँटवारा

दिल्ली से लेकर लखनऊ तक आम लोगों से बातचीत करने पर साफ दिखता है कि इस मुद्दे पर राय बंटी हुई है। एक वर्ग मानता है कि नेपाल की स्थिति से सबक लेना चाहिए और राजनीतिक दलों को जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। वहीं कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि भारत में विपक्ष केवल सवाल पूछ रहा है, और उसे अस्थिरता फैलाने से जोड़ना उचित नहीं है।

आगे का रास्ता

सवाल यही है कि क्या नेपाल की हिंसा भारत के लिए चेतावनी है या सिर्फ़ पड़ोसी देश की आंतरिक समस्या? भाजपा का आरोप है कि राहुल गांधी और अखिलेश यादव इस घटनाक्रम को अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। दूसरी ओर, विपक्षी दल इन आरोपों पर अब तक खामोश हैं।

इतना ज़रूर है कि सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे मंच इस बहस को और हवा दे रहे हैं। लोग वीडियो, ट्वीट्स और पोस्ट्स के जरिए अपनी राय साझा कर रहे हैं। ऐसे में सत्य और आरोप के बीच फर्क करना पहले से कहीं ज़्यादा मुश्किल हो गया है।

नेपाल की हिंसा ने यह साफ कर दिया है कि क्षेत्रीय अस्थिरता सिर्फ़ सीमाओं तक सीमित नहीं रहती। भारत में उठे आरोपों ने घरेलू राजनीति को और पेचीदा बना दिया है। विपक्षी नेताओं पर लगे आरोपों की सच्चाई क्या है, यह अभी सामने नहीं आया है। लेकिन इतना तय है कि सोशल मीडिया पर चल रही बहस और यूट्यूब वीडियो जैसे यहाँ उपलब्ध कंटेंट ने इस मुद्दे को आम जनता की बातचीत का हिस्सा ज़रूर बना दिया है।

AuthorTasveer Tiwari

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