नरेंद्र मोदी @75: सफर, सफलताएँ और सवाल- 75वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी की राजनीति का बड़ा लेखा-जोखा!

0

आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी 75 वर्ष के हो गए। एक छोटे कस्बे वडनगर की चाय बेचने वाली गुमनाम गलियों से लेकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचना सिर्फ़ राजनीतिक सफर नहीं, बल्कि आधुनिक भारत की सबसे चर्चित कहानियों में से एक है। उनके समर्थक उन्हें ‘विश्वगुरु भारत’ का आर्किटेक्ट मानते हैं, जबकि आलोचक कहते हैं कि उन्होंने लोकतंत्र को और अधिक केंद्रीकृत और नियंत्रित बना दिया।

मोदी की राजनीति हमेशा ध्रुवीकृत रही है, या तो लोग उन्हें आँख मूँदकर सराहते हैं या खुलकर विरोध करते हैं। लेकिन उनके 75वें जन्मदिन पर सवाल यह है कि उनके कार्यकाल ने भारत को कहाँ तक पहुँचाया है और किस मोड़ पर खड़ा किया है।

नरेंद्र मोदी का शुरुआती सफर और करीबी साथी

मोदी का जीवन उनके शुरुआती संघर्षों के बिना अधूरा है। वडनगर रेलवे स्टेशन पर पिता के साथ चाय बेचना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ना उनके व्यक्तित्व को गढ़ने वाले अहम पड़ाव रहे। संघ में काम करते हुए उन्हें अनुशासन, संगठन और विचारधारा की ताक़त मिली।

उनके जीवन के कई अहम पड़ावों पर कुछ लोग हमेशा उनके करीब रहे।

  • अमित शाह: गुजरात में बीजेपी संगठन को मज़बूत करने से लेकर दिल्ली में सत्ता के शिखर तक पहुँचने में शाह मोदी के सबसे भरोसेमंद साथी बने। शाह को मोदी का रणनीतिक दिमाग़ माना जाता है।
  • अरुण जेटली: दिल्ली की राजनीति में जब मोदी गुजरात मॉडल लेकर आए तो जेटली उनके राजधानी के द्वारपाल बने। हालांकि अब वे इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मोदी-जेटली की दोस्ती और राजनीतिक साझेदारी ने शुरुआती सालों में अहम भूमिका निभाई।
  • योगी आदित्यनाथ: 2014 के बाद मोदी-योगी संबंध भारतीय राजनीति की नई धुरी बने। उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार ने मोदी के राष्ट्रीय एजेंडे को ज़मीन पर उतारने में बड़ा योगदान दिया।
  • पीएमओ टीम: अजीत डोभाल, एनएसए के तौर पर, और पीके मिश्रा जैसे नौकरशाह मोदी के प्रशासनिक घेरे के केंद्रीय स्तंभ रहे हैं।

मोदी की पाँच सबसे बड़ी उपलब्धियाँ

1. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान

मोदी का सबसे बड़ा दावा है कि उन्होंने भारत की वैश्विक छवि बदली।

  • अमेरिका से लेकर जापान और खाड़ी देशों तक, उन्होंने व्यक्तिगत रिश्तों और बड़े आयोजनों के ज़रिए भारत को निवेश और रणनीतिक साझेदारी का केंद्र बनाया।
  • G20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी और ‘भारत मंडपम’ जैसे आयोजनों ने भारत को नई पहचान दिलाई।
  • विदेश नीति में भारत-प्रथम का रवैया और प्रवासी भारतीयों से सीधा जुड़ाव मोदी की राजनीतिक ब्रांडिंग का हिस्सा बना।

2. बुनियादी ढाँचा और डिजिटल क्रांति

मोदी सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल इंडिया पर सबसे ज़्यादा ज़ोर दिया।

  • राजमार्ग, मेट्रो, एयरपोर्ट और बिजली कनेक्टिविटी में तेज़ी आई।
  • यूपीआई और डिजिटल पेमेंट्स ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा कैशलेस प्रयोगशाला बना दिया।
  • आयुष्मान भारत और जन-धन योजना ने करोड़ों लोगों को बैंकिंग और स्वास्थ्य सुरक्षा से जोड़ा।

3. अनुच्छेद 370 का हटना

मोदी सरकार के लिए यह एक ऐतिहासिक और वैचारिक जीत थी। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर उसे पूरी तरह से भारत के साथ जोड़ना दशकों पुराने एजेंडे की पूर्ति थी। समर्थकों के लिए यह राष्ट्रवादी संकल्प का परिणाम था, जबकि आलोचकों ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दरकिनार करना बताया।

4. राम मंदिर का निर्माण

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण मोदी के कार्यकाल की सांस्कृतिक-राजनीतिक सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। दशकों की कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के बाद यह सपना साकार हुआ। जनवरी 2024 में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम मोदी के लिए व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों स्तरों पर मील का पत्थर रहा।

5. कोरोना प्रबंधन और वैक्सीन डिप्लोमेसी

कोविड-19 महामारी के दौरान मोदी सरकार की शुरुआत में आलोचना हुई, लेकिन बाद में वैक्सीन निर्माण और वितरण ने उन्हें वैश्विक नेता के रूप में खड़ा किया।

  • कोविन पोर्टल और वैक्सीन अभियान को डिजिटल सफलता कहा गया।
  • वैक्सीन मैत्री ने भारत को ‘दुनिया का फार्मेसी’ साबित किया।

मोदी की पाँच बड़ी विफलताएँ

1. बेरोज़गारी और आर्थिक असमानता

देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोज़गारी रही।

  • नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों ने छोटे कारोबारियों को गहरी चोट दी।
  • नए रोज़गार सृजन की गति बेहद धीमी रही।
  • युवाओं के लिए सरकारी नौकरियाँ सिकुड़ती गईं और प्राइवेट सेक्टर में अवसर सीमित रहे।

2. किसानों का आंदोलन

कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर एक साल लंबा आंदोलन मोदी सरकार की सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती बना। अंततः सरकार को झुकना पड़ा और क़ानून वापस लेने पड़े। इससे मोदी की निर्णायक छवि को झटका लगा।

3. लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सवाल

विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार ने लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता कम की।

  • चुनाव आयोग, सीबीआई, ईडी जैसी एजेंसियों पर पक्षपात का आरोप लगा।
  • संसद में बिना बहस कई अहम क़ानून पास करने पर आलोचना हुई।

4. सामाजिक ध्रुवीकरण

मोदी युग में सांप्रदायिक और सामाजिक ध्रुवीकरण गहराया।

  • अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना बढ़ी।
  • नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी जैसे मुद्दों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन कराए।

5. पर्यावरण और जलवायु संकट

तेज़ विकास की दौड़ में पर्यावरणीय संतुलन पर कम ध्यान दिया गया।

  • प्रदूषण, ग्लेशियर पिघलना और जल संकट जैसे मुद्दों पर ठोस नीति की कमी रही।
  • बड़े प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी देते समय पर्यावरणीय मंज़ूरी की प्रक्रिया को ढीला करने के आरोप लगे।

मोदी के व्यक्तित्व का मानवीय पहलू

राजनीति के परे मोदी की छवि हमेशा एक कड़े अनुशासन वाले व्यक्ति की रही है। सुबह 4 बजे उठना, योग और ध्यान करना और लंबे घंटे काम करना उनके जीवन का हिस्सा है।
लेकिन उनके करीबी बताते हैं कि निजी बातचीत में वे हास्यप्रिय और भावुक भी हैं। माँ हीराबेन के साथ उनकी तस्वीरें लोगों के दिलों को छू गईं।

उनका जीवन बताता है कि व्यक्तिगत त्याग राजनीति में उनकी ताक़त बना। शादीशुदा होने के बावजूद उन्होंने पारिवारिक जीवन से दूरी बनाई और खुद को पूरी तरह राजनीति और राष्ट्रवाद को समर्पित कर दिया।

75 साल की उम्र में नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति के सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक हैं। उनकी उपलब्धियों ने भारत को वैश्विक मंच पर मज़बूती दी, लेकिन उनकी विफलताओं ने लोकतांत्रिक व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने पर गंभीर सवाल खड़े किए।

उनका सफर न सिर्फ़ बीजेपी बल्कि पूरे देश की राजनीति को आकार देता रहा है और आगे भी देगा। उनके 75वें जन्मदिन पर यह साफ़ है कि मोदी सिर्फ़ एक नेता नहीं, बल्कि एक राजनीतिक युग का नाम हैं—जिसका मूल्यांकन आने वाली पीढ़ियाँ करती रहेंगी।

Author: Akshay Srivastava

Leave A Reply

Your email address will not be published.