हरियाणा के 5 बार के सीएम रहे ओम प्रकाश चौटाला का कैसा रहा राजनीतिक सफर, जानिए अनसुने किस्से

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ओम प्रकाश चौटाला केवल एक राजनीतिक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि वह हरियाणा के विकास की कहानी के प्रतीक थे। 20 दिसंबर 2024 को 89 वर्ष की आयु में उनका निधन (OP Chautala Died) एक युग के अंत का संकेत था। दशकों तक, चौटाला का नाम हरियाणा की ग्रामीण पहचान, किसानों के अधिकारों की रक्षा और राज्य की राजनीति को आकार देने से जुड़ा रहा। आइए जानते हैं द स्टोरी विंडो पर उनके राजनीति सफर के कुछ किस्से।

ओम प्रकाश चौटाला ने की मजदूरों और किसानों की बात (Om Prakash Chautala talked about laborers and farmers)

ओम प्रकाश चौटाला योगदान और हरियाणा की जनता पर छोड़ी गई अमिट छाप आने वाली पीढ़ियों तक गूंजती रहेगी। ग्रामीण विकास रैली के दौरान चौटाला ने कहा था, “हरियाणा की ताकत उसके गांवों में है, और यह हमारी जिम्मेदारी है कि कोई किसान या मजदूर पीछे न छूटे।” उन्हें जानने वाले लोग उनकी इस प्रतिबद्धता को याद करते हैं। उनके बेटे अभय चौटाला ने भी इस भावना को दोहराया और अपने पिता को “ऐसे नेता के रूप में वर्णित किया जो हर घर की चिंता अपने दिल में रखते थे।”

ओम प्रकाश चौटाला का कब हुआ जन्म? (When was Om Prakash Chautala born?)

1 जनवरी 1935 को सिरसा में जन्मे ओम प्रकाश चौटाला का राजनीति में आना जैसे तय ही था। उनके पिता चौधरी देवी लाल भारतीय राजनीति के दिग्गजों में से एक थे। चौटाला ने न केवल अपने पिता की राजनीतिक समझ को विरासत में लिया, बल्कि जनता की सेवा के प्रति उनका अडिग समर्पण भी पाया। बचपन से ही उन्होंने नेतृत्व की परिवर्तनकारी शक्ति और वंचितों के अधिकारों के लिए खड़े होने के महत्व को देखा। सिरसा में उनके शुरुआती वर्ष ग्रामीण हरियाणा की महत्वाकांक्षाओं और संघर्षों से भरे थे, जिसने उन्हें उस समुदाय से गहराई से जोड़ दिया जिसकी वह बाद में सेवा करेंगे।

ओम प्रकाश चौटाला की राजनीति में कैसे हुई एंट्री?(How did Om Prakash Chautala enter politics?)

चौटाला ने अपने पिता के मार्गदर्शन में राजनीति में कदम रखा। हालांकि उनका पारिवारिक राजनीतिक विरासत ने उनके लिए दरवाजे खोले, लेकिन हरियाणा की राजनीतिक सीढ़ियों पर उनकी स्थिति उनके व्यक्तिगत दृढ़ संकल्प और सहनशीलता के कारण मजबूत हुई। 1989 में वह पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने, एक ऐसा पद जिसने दृष्टिकोण और निर्णय लेने की आवश्यकता जताई। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने महत्वपूर्ण कृषि सुधारों की शुरुआत की, सिंचाई नेटवर्क का विस्तार किया और किसान कल्याण योजनाओं को लागू किया जिससे उत्पादकता और ग्रामीण आय में वृद्धि हुई। 1999 के कार्यकाल में, उन्होंने व्यापक ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजनाएं शुरू कीं, जिससे हरियाणा के गांवों में बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण हुआ। 2000 में, चौटाला सरकार ने शैक्षिक पहलों का समर्थन किया, नए स्कूलों और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की ताकि युवाओं को सशक्त बनाया जा सके। प्रत्येक कार्यकाल ने प्रगतिशील उपलब्धियां हासिल कीं, जिससे उनकी प्रतिष्ठा एक ऐसे नेता के रूप में मजबूत हुई जो हरियाणा के विकास के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध थे। चौटाला ने पांच बार मुख्यमंत्री पद संभाला और हरियाणा को समृद्धि और संकट दोनों के समय में मार्गदर्शन दिया।

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ओम प्रकाश चौटाला के मुख्य कार्य?(Main works of Om Prakash Chautala?)

चौटाला का सबसे महत्वपूर्ण योगदान ग्रामीण विकास और कृषि सुधारों पर केंद्रित था। उन्होंने ‘किसान सहायता योजना’ शुरू की, जो सूखा या फसल विफलता के दौरान किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बनाई गई थी। उनके नेतृत्व में, हरियाणा ने भाखड़ा नंगल सिंचाई प्रणाली का विस्तार देखा, जिससे कृषि उत्पादन में काफी वृद्धि हुई। उनकी सरकार ने ग्रामीण सड़कों और विद्युतीकरण परियोजनाओं के निर्माण को प्राथमिकता दी, जिससे दूर-दराज के गांवों को भी आधुनिकता और संपर्कता मिल सकी। कृषि हरियाणा की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और चौटाला इसे अच्छी तरह समझते थे। उन्होंने किसानों का समर्थन करने, सिंचाई प्रणालियों में सुधार करने और आधुनिक तकनीक तक पहुंच की सुविधा प्रदान करने वाली नीतियों की वकालत की। उनके शासनकाल में शिक्षा, बुनियादी ढांचे और गांवों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई कल्याणकारी योजनाओं को प्राथमिकता दी गई।

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ओम प्रकाश चौटाला का विवादों से रहा नाता (Om Prakash Chautala has been associated with controversies)

हालांकि, चौटाला का नेतृत्व विवादों से अछूता नहीं था। 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले में उनकी सजा ने उनके उल्लेखनीय करियर पर एक लंबी छाया डाली। इस मामले में 3,000 से अधिक शिक्षकों की अवैध भर्ती शामिल थी, जिससे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और कानूनी लड़ाई शुरू हुई और अंततः चौटाला और उनके बेटे को दस साल की जेल की सजा हुई। आलोचकों ने इसे जनता के विश्वास का उल्लंघन माना, जबकि उनके समर्थकों ने आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया, जिसका उद्देश्य हरियाणा की राजनीति में उनके प्रभाव को कम करना था। सजा के बावजूद, चौटाला का जनता से गहरा जुड़ाव और उनकी दृढ़ता स्पष्ट रही। 2021 में उनकी रिहाई को व्यापक समर्थन मिला, और उनके दल और समुदाय के कई लोगों ने इसे उनकी स्थायी विरासत और जन सेवा के प्रति प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में देखा।

ओम प्रकाश चौटाला के भाषणों में सरलता की झलक (A glimpse of simplicity in the speeches of Om Prakash Chautala)

राजनीति से परे, चौटाला की विरासत हरियाणा की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना में गहराई से जुड़ी हुई है। वह एक ऐसे नेता थे जो जमीनी स्तर से जुड़े रहने में विश्वास रखते थे और अक्सर किसानों, मजदूरों और सामुदायिक नेताओं के साथ सीधे संवाद करते थे। उनकी भाषणों में सरलता और ईमानदारी झलकती थी, जिसने जनता के दिलों में जगह बनाई।

हरियाणा में तीन दिन का राजकीय शोक

उनके निधन के बाद, हरियाणा सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया, जो उनके राज्य पर गहरे प्रभाव का प्रमाण था। झंडे आधे झुका दिए गए, और उनके योगदानों की यादें लोगों के बीच गूंजने लगीं। उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए, जो उनके प्रति जनता के गहरे जुड़ाव को दर्शाता है। उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ किया गया, जो सार्वजनिक सेवा के लिए उनके समर्पण का एक उपयुक्त सम्मान था।

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