समय के साथ कई चीजों में बदलाव आ जाता हैं। उसी प्रकार इन दिनों काम करने के तरीकों में भी बदलाव देखने को मिलता है। समय के साथ सुविधाएं बढ़ी है जिससे काम करने के तरीको में बदलाव आया है, जिसका फायदा हम सबको हुआ है। लेकिन उसी के साथ परेशानियां भी बढ़ी है। अब लोग ‘ऑलवेज़-ऑन’ कल्चर को अपना रहे हैं। स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति दिन में कई बार फोन देखता है। आइए जानते हैं द स्टोरी विंडो में digital anxiety के बारे में।
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टेक्नोलॉजी के प्रयोग से मैनेजर हमेशा अपने कर्मचारी से पहुंच में बने रहने की उम्मीद करते हैं। लगातार काम करते रहने से और फोन से कनेक्टेड रहने से कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी घटती है। टेक्नोलॉजी के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए पॉजिटिव डिजिटल कल्चर शुरू कर सकते हैं। अगर आप भी ऑफिस में दिनभर काम कर फ्रसट्रेट हो जाते है तो इन उपायों को कर आप काम में क्रिएटिवी और एम्पलायज के साथ अच्छा बांड बना सकते है।

फोन-फ्री ब्रेक्स देने के बारे में विचार करें
यह एक अच्छा विकल्प है लेकिन परेशानी की बात यह है कि इस प्रकार के ब्रेक्स मिलने पर भी कर्मचारी मोबाइल फोन में ही उलझे रहते है। शोध बताते है कि हर समय में फोन में उलझें रहने पर लोगों की प्रोडक्टिविटी का स्तर काफी हद तक घट जाता है। जिसके कारण ना उनमें काम के प्रति कोई खास उत्साह बचता है और ना ही पर्याप्त ऊर्जा दिखाई देती है।
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कर्मचारियों के लिए एक शांत जगह निकालें
ऑफिस एरिया में ही ऐसी जगह निकाल सकते है, जहां कर्मचारी कुछ समय के लिए अपने काम और डिवाइस से ब्रेक लेकर एकांत में बैठकर विचार-विमर्श कर सकें। ऐसा करने से न केवल उन्हें बेहतर महसूस होगा बल्कि इस तरह का डाउन टाइम मिलने से कर्मचारियों को अपने डिफॉल्ट मोड नेटवर्क को एक्टिवेट करने में भी बहुत मदद मिलेगी।
फोकस टाइम ब्लॉक करने पर जोर दें
कुछ लोगों में देखा गया है कि वह अपना काम तय समय में पूरा नही कर पाते है। कर्मचारियों को लगता है कि अपना काम पूरा करने के लिए उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। ऐसी परिस्थाति में कर्मचारियों को ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्टिव बनाने के लिए उन्हें कैलेंडर पर ‘फोकस टाइम’ ब्लॉक करने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकते हैं। जिससे वो ज्यादा ऊर्जावान, दोस्ताना, मजेदार और स्मार्ट होते हैं।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया लेना भी जरूरी
यदि लीडर्स चाहें तो अपने कर्मचारियों के लिए हर तरह से ज्यादा सकारात्मक डिजिटल माहौल पैदा कर सकते हैं। बातचीत के दौरान कर्मचारियों को प्रोत्साहित करें उनकी बात सुनें व समझने की कोशिश करें, ज्यादातर कर्मचारी अपने मैनेजर को तुरंत प्रतिक्रिया देने की जल्दी में रहते हैं। फिर चाहे वो बातचीत काम के बाद हो या वीकेंड पर या फिर छुट्टियों के दौरान हो। इसके लिए उन्हें एक पॉलिसी बनानी होगी कि कब और कैसे कर्मचारियों से प्रतिक्रिया की उम्मीद की जा सकती है।
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