76th Rajasthan Mahotsav: केसरिया बालम पधारो म्हारे देश… की दिल्ली में गूंज ने सबको अपनी ओर आकर्षित किया। इन तरानों की आवाज ने राजस्थानीय शौर्य जाग्रत कर दिया। वहीं, काजलियों, कागा, गोरबंद, कांगसिया, हिचकी, कुरजा, इंडोनी, लूर… जैसे लोकगीतों की गूंज के साथ और घूमर नृत्य की बहार ने लोगों को खूब प्रभावित किया। इस बार का 76वां राजस्थान दिवस हजारों लोगों के लिए जितना खास था। उतना यादगार भी बन गया।
76th Rajasthan Mahotsav में संस्कृति और परंपराओं का मिश्रण
बीते दिनों राजस्थानी पोशाक और वेशभूषा में राजस्थान की लोक संस्कृति और परंपराओं का एक अनूठा मिश्रण देखने को मिला नई दिल्ली छतरपुर में। बता दें इस बार 76 वां राजस्थान महोत्सव का कार्यक्रम आध्यात्म साधना केंद्र में बीते 30 मार्च को आयोजित हुआ। इस एक दिवसीय कार्यक्रम को लेकर इस बार राजस्थानी मित्र मंडल ने खास तैयारियां की थी।
76th Rajasthan Mahotsav में कई प्रतियोगिताओं का हुआ आयोजन
महोत्सव में पगड़ी प्रतियोगिता, मेहंदी, पोस्टर मेकिंग, गणगौर उत्सव, राजस्थानी फैशन शो, नाट्य प्रस्तुति और धमाल उत्सव का आयोजन किया गया. इसमें कई प्रतिभागियों ने भाग लिया। मरुधरा की लोकसंस्कृति से दिल्ली वासियों को अवगत करवाया।करीब 500 से अधिक महिला प्रतिभागियों ने सम्मिलित हो कर आयोजन को खास बना दिया।
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आयोजन के बारे में संस्था के सदस्य आयोजन समिति के प्रमुख कनिष्क यादव ने बताया कि हमारी संस्था का उद्देश्य है कि प्रवासी राजस्थानी शूरवीरों की धरा एवं उसकी माटी की संस्कृति को यहाँ देश के राजधानी में भी उत्सव के रूप में मना कर कर गौरवान्वित समझे। यह महोत्सव हमारी गौरवशाली विरासत को जीवंत बनाता है। साथ ही राजस्थानी समुदाय को एक मंच प्रदान करता है, एक दूसरे से जुड़ने के लिए। आगे बढ़ने के लिए. रक्तदान शिविर और संजीवनी दवा सेवा के प्रकल्प इस कार्यक्रम को और भी सेवामई बनाते हैं।
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लोक संस्कृति का मिश्रण है ये आयोजन
संस्था की संरक्षक एवं समाज सेविका चंद्रकांता राजपुरोहित ने बताया कि राजस्थान की लोककला, लोक व्यंजन, लोक संस्कृति को करीब से जानने-समझने का यह महोत्सव बेहतर अवसर प्रदान करता है, जिसमें दिल्ली एवं एनसीआर के करीब दस हजार से ज्यादा लोग सम्मिलित होते हैं। यह आयोजन लोककला, लोक व्यंजन और लोक संस्कृति का मिश्रण है।
‘गुमनाम नायकों की वीर गाथाएं हमेशा करती हैं प्रेरित’
संस्था की सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार एकता पुरोहित ने बताया कि भारत और राजस्थान के गुमनाम नायकों की वीरगाथाएं,और नारी शक्ति की प्रेरणादायी मिसाल काली बाई भील, डूंगरपुर द्वारा शिक्षा के अभूतपूर्व शौर्यगाथा को दर्शाता दिल्ली के स्कूली छात्रों द्वारा नाट्य मंचन भी किया गया। मरुधरा के वीरों की वीर गाथाएं हम सब को हमेशा प्रेरित करती रहेगी। अपनी गौरवशाली विरासत पर प्रत्येक राजस्थानी को गर्व है।
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