Gond Tribe: आज हम बात कर रहे हैं भारत की सबसे बड़ी और प्रमुख जनजाति गोंड के बारे में । आप गोंड कला से परिचित होंगे, जो गोंड समुदाय से उत्पन्न एक अनूठी कला है। हाल के वर्षों में, इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है और इसे विभिन्न कला प्रतिष्ठानों में दिखाया गया है। आइए जानते हैं द स्टोरी विंडो पर गोंड जनजाति के बारे में।
Gond Tribe का क्या है इतिहास?
गोंड जनजाति भारत के सबसे बड़े और सबसे प्रमुख स्वदेशी समूहों में से एक है, जिसका इतिहास, संस्कृति और विरासत सदियों पुरानी है । आज लगभग 12 मिलियन गोंड भारत के मध्य राज्यों में रहते हैं, जिनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। गोंडों का इतिहास पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों से भरा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने गोंडों को बनाया और उन्हें उनकी अनूठी भाषा, संस्कृति और परंपराएँ दीं।
Gond Tribe प्रकृति के पूजक हैं
प्रकृति की पूजा करना गोंड जनजातियों की सदियों पुरानी प्रथा थी। गोंड जनजाति की धार्मिक प्रथाओं पर हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण प्रभाव था। गोंड अपनी धार्मिक प्रथाओं में जीववाद और हिंदू धर्म के एक अनूठे मिश्रण का पालन करते हैं। गोंड ‘कोयापुनेम’ में विश्वास करते हैं, जिसमें यह विश्वास शामिल है कि प्रकृति में हर चीज में आत्मा होती है और वह मनुष्यों के साथ संवाद कर सकती है। वे कई तरह के देवताओं की पूजा करते हैं, जिनमें मुख्य देवता बड़ा देव या बड़ादेव शामिल हैं।
गोंडों के पास धार्मिक समारोहों में प्रकृति की पूजा की भी समृद्ध परंपरा है। उनका मानना है कि प्रकृति में मौजूद वस्तुओं में आध्यात्मिक शक्ति होती है और वे उन्हें ईश्वर से जुड़ने में मदद कर सकती हैं।
गोंड भाषा और सांस्कृतिक विरासत
Gond Tribe के लोग अलिखित भाषा गोंडी बोलते हैं। 2011 की जनगणना में लगभग 13 मिलियन लोगों ने खुद को गोंड के रूप में पहचाना, जबकि उनमें से केवल 2.98 मिलियन लोगों ने खुद को गोंडी बोलने वाले के रूप में पहचाना। हालांकि, माना जाता है कि वास्तविक संख्या काफी अधिक है, अनुमान है कि यह 20 मिलियन तक है। गोंडी भाषा गोंड सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसे संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
Gond Tribe का क्या है व्यवसाय?
गोंड जनजाति के लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि या दैनिक मजदूरी है। यह जनजाति गोंडवाना नामक एक व्यापक रूप से फैले वन क्षेत्र में रहती थी। गोंड लोग झूम खेती करते थे।
Gond Tribe की वेश-भूषा
इस समुदाय के लोगों को सूती कपड़े पहनना पसंद है। पुरुष धोती पहनते हैं और महिलाएँ चोली के साथ साड़ी पहनती हैं। ये महिलाएँ स्वयं को चाँदी से बने आभूषणों से सजाती हैं। इतना ही नहीं, महिलाओं को काँच की रंग-बिरंगी चूड़ियाँ और काले मोतियों तथा कौड़ी से बने हार भी पहनना बेहद पसंद है।
Gond Tribe का क्या है भोजन?
गोंड के आहार में दो मुख्य बाजरा शामिल हैं – अस्कोडो और कुटकी। वे अक्सर दिन के भोजन के रूप में शोरबा के रूप में और रात के भोजन के रूप में बगीचों में उगाई गई सब्जियों या जंगलों से एकत्र की गई सब्जियों के साथ सूखे अनाज के रूप में होते हैं। एक अनाज जो उनके लिए एक विलासिता है वह है चावल।
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Gond Tribe की संस्कृति
गोंड उत्साही नर्तक हैं और सभी उत्सव के अवसर गीत और नृत्य द्वारा मनाए जाते हैं।गोंड जनजाति की संगीत विरासत विविधतापूर्ण और समृद्ध है, जिसमें लोकगीतों और नृत्यों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो उनकी संस्कृति का अभिन्न अंग है। संगीत की विशेषता सरल, दोहरावदार लय और पारंपरिक वाद्य यंत्रों जैसे मांदर, ढोलक और टिमकी का उपयोग है। गोंड संगीतकारों को समुदाय के भीतर बहुत सम्मान दिया जाता है, जिनमें प्रसिद्ध लोक गायिका तीजन बाई भी शामिल हैं, जिन्हें भारतीय संगीत में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। केसलापुर जात्रा और मड़ई गोंडों के महत्वपूर्ण त्यौहार हैं। इसके अलावा, वे दशहरा नामक हिंदू त्यौहार भी मनाते हैं।
Gond Tribe के मुख्य राजवंश
राजगोंड राजाओं का भारत में महत्वपूर्ण स्थान है जिसका मुख्य कारण उनका इतिहास है। 14वीं से 18वीं शताब्दी के बीच गोंडवाना में अनेक राजगोंड राजवंशों का दृढ़ और सफल शासन स्थापित था। इन शासकों ने बहुत से दृढ़ दुर्ग, तालाब तथा स्मारक बनवाए और सफल शासकीय नीति तथा दक्षता का परिचय दिया। गोंडवाना की प्रसिद्ध रानी दुर्गावती राजगोंड राजवंश की रानी थी।
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गोंड कला क्यों खास?
गोंड कला , लोक कला का ही एक रूप है। जो गोंड समाज की उपशाखा परधान समुदायों के कलाकारों द्वारा चित्रित की जाती है। जिसमें गोंड कथाओं, गीतों एवं कहानियों का चित्रण किया जाता है। गोंड चित्रकला एक पारंपरिक लोक कला है, जिनमें अक्सर जानवर, पौधे और प्रकृति के अन्य तत्व शामिल होते हैं। गोंड कला पारंपरिक कला का एक अनूठा रूप है जो मध्य प्रदेश में गोंड जनजाति से उत्पन्न हुआ है। चित्रों में आमतौर पर जटिल पैटर्न और चमकीले रंगों का प्रयोग किया जाता है, जो प्राकृतिक दुनिया, जानवरों और जनजातीय जीवन को दर्शाते हैं।
Gond चित्रकला विश्व में क्यों प्रसिद्ध है?
पद्मश्री भज्जू सिंह श्याम, दुर्गा बाई व्याम प्रमुख गोंड चित्रकार हैं। गोंड चित्रकला जीआई टैग प्राप्त है। गोंड चित्रकला देश विदेश में काफी लोकप्रिय हो रहा है। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विज्ञापन में गोंडी चित्रकला का बेहद खूबसूरती से प्रयोग किया गया है।गोंड चित्रकला विश्व भर में एक लोकप्रिय कला बन गई है और इसे कई अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में प्रदर्शित किया जा चुका है।
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