Rajasthan Culture: क्या है मीणा जनजाति की अनोखी कला की कहानी ?

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भारत का क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे  बड़ा राज्य राजस्थान अपने आप में कई धार्मिक कल्चर और देशभर के इतिहास को अकेले समेटे हुए हैं। मीणा जनजाति की  मीणाकारी कला जिसकी नक्काशी और हाथ की कलाकारी आज भी लोगों को आकर्षित करती है। जयपुर की रहने वाली वीना मीणा जो अपने पिता के साथ मिलकर इस कला को आगे बढ़ा रही हैं। आइए जानते है द स्टोरी विंडो में Rajasthan Culture के इस ख़ास कलाकारी के बारे में।

क्या है Rajasthan Culture की मीणाकारी

इस कारीगरी में कई तरह के मेटल्स का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें पीतल, तांबा, चांदी और सोना भी शामिल है। इस कला में बनाए गए गहने इसलिए भी आकर्षण का केंद्र रहते हैं क्योंकि इस डिजाइन के गहनों में देवी देवताओं और जानवरों की छवियां उकेरी हुई होती हैं। कहा जाता है कि इस कला को मुगल आक्रमणकारियों द्वारा भारत लाया गया था। इस आर्ट की उत्पत्ति मूल रूप से पर्शिया में हुई थी।

कैसे हुई मीणा जनजाति की ये कला ?

मीणाकारी कला के गहने काफी देशी शैली के लगते हैं। जो भारत में मेवाड़ के राजा मान सिंह के कारण काफी प्रसिद्ध हुए। मीणाकारी  डिजाइनिंग के मुख्य रूप इनेमल के रंगो का इस्तेमाल किया जाता है। जो धातु के बने होते हैं जिन्हें बारीक पाउडर के रंग के साथ मिलाया जाता है। जो बनाई गई चीजों की शोभा और बड़ा देते हैं। यह मीणाकारी क्राफ्ट डेकोरेटिव सामान के रूप में ज्यादातर इस्तेमाल होते हैं। यह मीनाकारी कला जनजातीय कल्चरल के साथ  ही राजस्थान की संस्कृति को भी दर्शाती है।

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मूर्तियों पर भी उकेरी जाती है ये कला

यह मीणाकारी  कला सिर्फ साड़ियों और गहनों तक सीमित नहीं है। इसमें लकड़ियों से बने आइटम,मूर्तियां और कठ पुतलियां भी आती हैं। वहीं इन कलाकृतियों के लिए भी रंग घर पर ही बनाए जाते हैं। जहां मार्केट से फैब्रिक का बेस लाकर अलग-अलग तरह के रंग बनाए जाते हैं।

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कितने दिनों में सीख सकते हैं ये कला?

इस मीनाकारी कला को कांच के ऊपर सीखने पर 2 से तीन महीने समय लगता है। लेकिन अगर हम इसे परफेक्ट तरीके से सीखना चाहते हैं तो 2 साल का समय देना पड़ सकता है। यह आर्ट पूरी तरह से राजस्थान के कलरफुल कल्चर को दर्शाती है।

ये कला राजस्थान के किस शहर को दर्शाती है?

आपको बता दें  कि राजस्थान में पिंक सिटी है,ब्लू सिटी है। इसलिए जब किसी भी मेटल और धातु पर यह कला उकेरी जाती है तो उस में कई तरह के रंगो को भरा जाता है। मूर्तियों और प्रतिमाओं में उकेरा जाने वाला ब्लू कलर राजस्थान की ब्लू सिटी जोधपुर को दर्शाता है। भारत की संस्कृति का यह हिस्सा आज के मॉडर्न युग में कहीं खो सा गया है। इसके प्रति हमें युवाओं में एक जागरूकता लानी पड़ेगी जिससे वे इस कला को जान सकें और समझ सकें ताकि वर्षों तक इस कला को संजोकर रखा जा सके।

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6 Comments
  1. Pinkee Rajpoot says

    🤘😊

  2. Akhtar Ali says

    Thanks for introducing Rajasthan culture and history
    Special for मीरा कारी कला this is unique work in the whole world 🌍 we proud we’re Indian 🇮🇳

    My humble request you can you please
    Explore UP special Kanpur culture and history
    If possible 🙏

    Special thank @Pinki Rajpoot 🙏

  3. Bharat singh says

    Nice story 👏

  4. Munfaid says

    Crafting a good comment.
    Respect the writer and the other readers. …
    Rajsthani culture is the one of the most important cultural.
    It’s culture can represent our indian traditions
    It’s can be represented our old things…
    But India’ is the good country…
    We all people are followed by all’ cultural all’ the traditions in….
    #Pinki Rajpoot
    # Author 🖋️

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  6. […] इकबाल सक्का को पता लगा कि विश्व के सबसे छोटे बेग की आकृति जिसे  ऑस्ट्रेलिया के कलाकार ने बनाया, उसकी नीलामी करोड़ों में हुई। तब उन्होंने भी उससे भी छोटे बेग को बनाने की ठानी। वह इतना छोटा होने वाला था जिसका वज़न भी नहीं लिया जा सकता था। एक बाल के जितना उसका वज़न होने वाला था। इस काम के लिए उन्हें उनके महान उद्देश्य ने प्रेरित किया। इस बेग की नीलामी से मिलने वाले पैसे को बाढ़ पीड़ितों की मदद करना चाहते थे। पर इसका मैटेरियल बनाते समय उनकी एक आँख चली गई। बाद में डॉक्टरों के इलाज से उन्होंने अपनी वह आँख फिर से पाई। ये भी पढ़ें: Rajasthan Culture: क्या है मीणा जनजाति की अनोखी कल… […]

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