ऑनलाइन मीटिंग में शोर से परेशान? अब AI करेगा सब चुप!

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घर से काम करना अब आम बात हो गई है। सुबह उठो, कप चाय परोसो और लैपटॉप खोलो. लेकिन जैसे ही मीटिंग शुरू होती है, वही पुराना सीन दोहराता है. कहीं बच्चों की आवाज़, कहीं शोर करता ट्रैफिक, कहीं कमरे के बाहर कोई डेलीवार्कर्स की बात. इतना सब सुनने के बाद किसी का भी ध्यान टूटना तय है. ऑफिस की फ़ूल साइलेंस वाली बात अब सिर्फ़ याद बनकर रह गई है.

मैंने कई बार मीटिंग में खुद के बैकग्राउंड शोर पर शर्मिंदा महसूस किया है. एक बार तो मेरे पालतू ने इतना जोर से भौंका कि मेरी टीम हँस पड़ी. मज़े की बात है पर बार-बार ऐसा होने पर पेशेवर असर भी पड़ता है. और असल बात यह है कि हम में से ज़्यादातर लोग इसे आसान समझ लेते हैं. हम सोचते हैं ये छोटी छोटी बातें हैं. पर बार-बार ध्यान भंग हो तो काम की क्वालिटी घटती है.

कुछ महीनों से मैंने एक छोटा सा टूल ट्राई किया. नाम है Krisp. इसे मैंने इसलिए भी आज़माया क्योंकि माइक्रोफोन बंद करने का बार-बार शब्द सुनकर भी मैं थक चुका था. और सच कहूं तो फर्क तुरंत दिखा. मीटिंग में मेरी आवाज़ साफ़ आई. पीछे की कोई भी आवाज़ जैसे गायब हो गई. ऐसा लगा मानो कोई साइलेंट पार्टनर मेरे साथ बैठा हो. शोर था पर मुझे नहीं सुनाई दे रहा था. और वही फर्क बन गया.

Krisp कोई बड़ी पूजा पद्धति नहीं. यह एक टेक्नोलॉजी है जो मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके आवाज़ों को अलग करती है. आपका वॉइस सिग्नल बचा रहता है और बाकी सब नॉइज़ फीका पड़ जाता है. Zoom हो या Google Meet या Teams सबके साथ चलता है. इंस्टॉल करना आसान है. कोई जटिल सेटिंग नहीं. बस एक बार चालू कर दो और आपकी आवाज़ बाकी सब से अलग हो जाती है. अगर आप भी ट्राई करना चाहें तो यह लिंक है: https://krisp.pxf.io/3JvPWv

मीटिंग्स में साइलेंस का फायदा सिर्फ़ पेशेवर दिखने में नहीं है. जब आसपास का शोर कम होता है तो आप आत्मविश्वास से बोलते हो. आप वैसा बयान दे पाते हो जैसा सोचते हो. और सामने वाला भी बेहतर सुनता है. छोटे छोटे बातों से बातचीत की लैय बेहतर हो जाती है. क्लाइंट मीटिंग हो या टीम स्टैंडअप, फर्क स्पष्ट दिखाई देता है.

किसी टूल को अपनाने से पहले सवाल उठते हैं. क्या यह प्राइवेसी को समझता है? क्या इससे आवाज़ कृत्रिम लगने लगेगी? मैंने ये सभी बातें देखी. Krisp में आवाज़ प्राकृतिक रहती है. यह सिर्फ़ बैकग्राउंड को अलग करता है. और प्राइवेसी के मामले में यह लोकल प्रोसेसिंग पर भरोसा करता है. यानी आपकी आवाज़ दूर दूर के सर्वर पर घुमती नहीं जाती. ये बातें छोटी लग सकती हैं पर सुविधा में बड़ा रोल निभाती हैं.

भारत में काम करने वाले लोगों के लिए यह और भी काम का है. घर में छोटे बच्चे या बुज़ुर्ग हों तो शोर होना आम है. वहीं पुराने शहरों में सड़क का शोर और बिल्डिंग वर्क रोज़ नज़र आता है. ऐसे माहौल में कोई भी प्रोडक्टिव रहने की कोशिश करता है तो मुश्किल होती है. मैंने देखा है कि कई लोग मीटिंग के दौरान अलग कमरे में चले जाते हैं. या फिर माइक्रोफोन म्यूट करके बोलते हैं. दोनों ही समाधान आदर्श नहीं हैं. Krisp जैसा टूल सीधे समस्या से निपटता है.

यह भी देखा गया है कि जब टीम के सदस्य शोर से परेशान नहीं होते तो मीटिंग का मूड भी बेहतर रहता है. लोग खुलकर बात करने लगते हैं. गलतफहमी कम होती है. कम शोर का मतलब कम बार दोहराना. कम बार दोहराने का मतलब टाइम की बचत. और टाइम की बचत का मतलब काम पर ज्यादा ध्यान. इतने छोटे फायदे अक्सर बड़े असर बन जाते हैं.

टेक्नोलॉजी हर बार चमत्कार नहीं करती. पर कई बार छोटे छोटे सुधार हमारे काम करने के तरीकों में बड़ा फर्क ला देते हैं. Krisp ऐसा ही एक छोटा सुधार है. आप इसे लंबी डिस्कवरिंग स्टडी की तरह नहीं देखिए. बस एक बार आज़माइए और खुद तय कीजिए कि यह आपके काम के तरीके में कितनी मदद करता है. मैंने इसे अपने कुछ कलीग्स को सुझाया. कुछ ने तुरंत अपनाया और कुछ ने कहा कि यह उनके लिए गेम चेंजर साबित हुआ.

अगर आप फ्री में ट्राय करना चाहते हैं तो लिंक यही है: https://krisp.pxf.io/3JvPWv. मैं खुद बताना चाहूंगा कि यह किसी बड़े बैज का दावा नहीं कर रहा है. यह सिर्फ़ आपकी मीटिंग का माहौल बेहतर बना देता है. और वही छोटा सा फर्क जो हर दिन के काम को आसान कर दे, वह अक्सर सबसे ज़्यादा मायने रखता है.

अख़िर में बात इतनी है कि रिमोट वर्क ने हमें दिखा दिया कि काम सिर्फ़ स्क्रीन के सामने बैठकर नहीं होता. काम का माहौल जरूरी है. आवाज़ का माहौल भी उतना ही जरूरी है. अगर आप रोज़ाना मीटिंग करते हैं और बार बार ध्यान भंग होने से थक जाते हैं तो छोटे फैसले लेना ठीक है. टेक की मदद लेने में कोई बुरा नहीं है. इसे एक एडवांस्ड माइक्रोफोन की तरह सोचिए. यह आपकी आवाज़ साफ़ रखता है और बाकी शोर को साइलेंट कर देता है.

यह लेख किसी प्रमोशन के रूप में नहीं लिखा गया है. यह एक व्यक्तिगत अनुभव और रोज़मर्रा के काम की छोटी छोटी परेशानियों का हल बताने की कोशिश है. अगर आपको लगता है कि आपकी मीटिंग्स भी शोर की वजह से कमजोर पड़ रही हैं तो एक बार इसे आज़माइए: https://krisp.pxf.io/3JvPWv. मुझे उम्मीद है कि आपकी ऑनलाइन मीटिंग्स भी थोड़ी शांत और थोड़ी ज़्यादा फोकस्ड होंगी.

Author: Akshay Srivastava

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