अजित पवार का IPS अफ़सर से टकराव, FIR और सियासी संग्राम तेज़!

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महाराष्ट्र की राजनीति में तूफ़ान खड़ा हो गया है। डिप्टी सीएम अजित पवार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है। इसमें वे सोलापुर ज़िले में अवैध रेत खनन रोकने पहुँची आईपीएस अधिकारी अंजना कृष्णा से सख़्त लहजे में कहते नज़र आते हैं – “मैं डिप्टी सीएम बोल रहा हूँ, तुरंत कार्रवाई रोक दीजिए, वरना कार्रवाई मैं करूँगा।”

वीडियो वायरल होते ही विपक्ष ने इसे सत्ता के दुरुपयोग की मिसाल बताकर बड़ा हमला बोल दिया है।

सोलापुर और खनन माफ़िया का अड्डा

सोलापुर लंबे समय से अवैध रेत खनन का गढ़ माना जाता रहा है। यहाँ भीमा और अन्य नदियों से बड़े पैमाने पर अवैध रेत निकासी होती है। स्थानीय स्तर पर इसे लेकर पुलिस और प्रशासन कई बार सख़्ती दिखाते रहे हैं, लेकिन नेताओं और माफ़िया के गठजोड़ की वजह से कार्रवाई अक्सर अधूरी रह जाती है।

खनन माफ़िया का नेटवर्क इतना गहरा है कि कई बार प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव डालकर कार्रवाई रुकवा दी जाती है। यही वजह है कि अजित पवार का यह वीडियो विपक्ष को बड़ा राजनीतिक मुद्दा दे गया है।

आईपीएस अंजना कृष्णा कौन हैं?

अंजना कृष्णा 2014 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। वे कर्नाटक से ताल्लुक रखती हैं और सख़्त व ईमानदार छवि के लिए जानी जाती हैं। वर्तमान में वे सोलापुर ज़िले के कर्मला डिवीज़न में तैनात हैं।

स्थानीय लोगों के मुताबिक, उन्होंने हाल ही में अवैध खनन और ट्रांसपोर्ट माफ़िया के ख़िलाफ़ कई छापेमारी अभियान चलाए हैं। उनकी सक्रियता ने राजनीतिक दबाव को और बढ़ा दिया है।

FIR और कानूनी पहलू

हालांकि अजित पवार पर अभी तक कोई औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, लेकिन सामाजिक संगठनों और वकीलों ने शिकायत दी है। जानकारों का कहना है कि आईपीसी की धारा 353 (सरकारी काम में बाधा) और 506 (धमकी देना) लागू हो सकती है।

पवार की सफ़ाई

अजित पवार ने सोशल मीडिया पर सफ़ाई दी कि उनका इरादा पुलिस के काम में दख़ल देने का नहीं था। उनका कहना है कि वे सिर्फ़ कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों के बीच टकराव रोकना चाहते थे। उन्होंने लिखा कि वे हमेशा महिला अधिकारियों का सम्मान करते हैं और पुलिस बल को सबसे ऊपर मानते हैं।

विपक्ष का हमला और INDIA गठबंधन की रणनीति

इस घटना पर INDIA गठबंधन और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने मोर्चा खोल दिया है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि “पुलिस की स्वतंत्रता पर हमला लोकतंत्र की जड़ों पर हमला है।” कांग्रेस ने इसे खनन माफ़िया को बचाने की कोशिश बताया।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) भी चुप नहीं है। उनका कहना है कि यह घटना दिखाती है कि अजित पवार अब जनता से ज़्यादा ठेकेदारों और माफ़िया की परवाह कर रहे हैं।

राजनीतिक मायने

महाराष्ट्र में पहले से ही सत्ता कई गुटों में बँटी है। अजित पवार का यह विवाद उनकी छवि के लिए बड़ा झटका हो सकता है। विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही विपक्ष इस मुद्दे को जनता के बीच ज़ोर-शोर से उठाएगा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रकरण महाराष्ट्र की राजनीति में “पुलिस बनाम नेता” की पुरानी बहस को फिर जिंदा कर देगा। सवाल यह है कि क्या इस बार कोई ठोस कार्रवाई होगी या मामला हमेशा की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

क्या आप मानते हैं कि यह मामला चुनावी हवा बदल सकता है? क्या महिला आईपीएस अंजना कृष्णा पर बने इस दबाव के बाद पुलिस तंत्र और मुखर होगा या और दब जाएगा?

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