उदयपुर के छात्रों ने लंपी स्किन डिज़ीज़ के प्रति लोगों को जागरूक किया में वेटनरी छात्रों ने Lumpy Skin Disease के प्रति लोगों को किया जागरूक किया। इसके साथ उन्होंने लोगों को पेम्पेलट बांटकर लोगों को जागरुक किया। ये सभी छात्र govt animal husbandry training institute के हैं। लम्पी स्किन डिज़ीज़ (एलएसडी) एक संक्रामक रोग है, जो मुख्य रूप से गाय–भैंस जैसे दुधारू पशुओं को प्रभावित करता है। यह कैप्रीपॉक्स नामक वायरस से फैलता है।
इस बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गोल–गोल गांठें बनने लगती हैं, जिससे उनका शरीर कमजोर हो जाता है और दूध उत्पादन भी काफी कम हो जाता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत सहित कई देशों में यह बीमारी तेजी से फैली है, जिसके कारण लाखों पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। उदयपुर के वेटनरी के छात्र हर्ष कुमार मीणा ने द स्टोरी विंडो से बातचीत की।
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Lumpy Skin Disease के क्या हैं लक्षण
Lumpy Skin Disease के लक्षण आसानी से पहचान में आ जाते हैं। संक्रमित पशुओं के शरीर और गर्दन पर सख्त गांठें उभर आती हैं, अक्सर उन्हें तेज़ बुखार आ जाता है, भूख कम हो जाती है और दूध की मात्रा अचानक घट जाती है। कई बार उनकी आंखों और नाक से पानी या चिपचिपा स्राव भी निकलता है। बीमारी बढ़ने पर पशु थकान महसूस करने लगता है और चलने-फिरने में भी उसे दिक़्क़त होने लगती है।
Lumpy Skin Disease कैसे होती है?
लम्पी स्किन डिज़ीज़ आमतौर पर मच्छर, मक्खी और किलनी जैसे कीटों के काटने से फैलती है। इसके अलावा यदि कोई स्वस्थ पशु संक्रमित पशु के सीधे संपर्क में आ जाए तो उसमें भी यह बीमारी फैल सकती है। यही कारण है कि यह रोग एक पशु से पूरे झुंड तक पहुंचने में देर नहीं लगाता।
Lumpy Skin Disease से क्या हैं बचाव?
बचाव ही इस बीमारी से लड़ने का सबसे कारगर तरीका है। पशुओं को हमेशा साफ-सुथरे वातावरण में रखना चाहिए और गोशाला में नियमित रूप से मच्छरों और मक्खियों से बचाव के लिए छिड़काव करना चाहिए। जैसे ही किसी पशु में बीमारी के लक्षण दिखें, उसे तुरंत स्वस्थ झुंड से अलग कर देना चाहिए। सबसे ज़रूरी है कि सरकारी और पशु चिकित्सा विभाग द्वारा चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान में हर पशुपालक अपने पशुओं को शामिल करे। साथ ही, चारे और पानी की सफ़ाई पर विशेष ध्यान देना भी आवश्यक है।
Lumpy Skin Disease का क्या बचाव?
इस बीमारी का कोई विशेष इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन पशु चिकित्सक की देखरेख में पशु को स्वस्थ किया जा सकता है। बुखार और दर्द कम करने की दवाइयाँ दी जाती हैं, वहीं शरीर पर बनी गांठों पर एंटीसेप्टिक दवा लगाकर इंफ़ेक्शन से बचाव किया जाता है। इसके साथ ही पशु को पौष्टिक आहार और पर्याप्त पानी दिया जाए तो उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वह जल्दी ठीक हो जाता है।
देखिए वीडियो:
Lumpy Skin Disease में क्या सावधानी रखनी चाहिए?
कुल मिलाकर, लम्पी स्किन डिज़ीज़ आज पशुपालकों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। लेकिन यदि समय पर सावधानी बरती जाए, साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए और टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए तो इस बीमारी पर काफ़ी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। सरकार और पशु चिकित्सा विभाग लगातार इस समस्या से निपटने के प्रयास कर रहे हैं। अब ज़रूरत है कि हर पशुपालक जागरूक बने और अपने पशुओं की समय-समय पर जांच और देखभाल ज़रूर करवाए।
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