Bakari Palan: 5 दिवसीय व्यवसायिक भेड़ एवं बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

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शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र दांता में आईजी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में व्यवसायिक भेड़ एवं बकरी पालन(Bakari Palan) प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसमें वैज्ञानिक पद्धति से भेड़ – बकरी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। आईजी फाउंडेशन के सचिव डॉ देवाराम पंवार ने बताया कि यह प्रशिक्षण 8 से 12 मार्च तक चलेगा।

Bakari Palan Training Program में किस पर जोर दिया

इस प्रशिक्षण से आत्मनिर्भर भारत मे देश के युवा शक्ति के बल पर जोर देंगें, इसमें रोजगारपरक व्यवसाय के जरिये योगदान देंगे। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत सरकार से 50 प्रतिशत अनुदान सहायता किस तरह प्राप्त कर सकते हैं उसकी संपूर्ण प्रक्रिया बताई जाएगी।

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संसाधनों में पालने वाला पशु

केवीके के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनय कुमार ने कहा कि किसानों को भेड़ – बकरी सबसे कम संसाधनों में पालने वाला पशु है जो अपने शारीरिक ग्रोथ भी बकरी की अपेक्षा जल्दी करता है। भेड़ एवं बकरी में टीकाकरण के बाद आवास, चारा, दाना व विभिन्न मौसम आधारित प्रबंधन पर ध्यान देकर किसान अच्छी आमदनी कर सकते है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ये व्यवसाय आने वाले समय मे हॉर्टिकल्चर व पोल्ट्री की तरह पशुपालन उद्यमिता का रूप जरूर लेगा। विकसित भारत निर्माण तभी होगा जब देश का हर नागरिक देश की तरक्की मे भागीदार होगा। जैविक व प्राकृतिक खेती को अपनाने की सलाह दी।

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Bakari Palan करके पशुपालकों की बढ़ेगी आय!

मुख्य अतिथि पशुपालन विभाग बाड़मेर के संयुक्त निदेशक डॉ. नारायण सिंह सोलंकी ने कहा कि वैज्ञानिक प्रबंधन से बकरी पालन करके पशुपालक अपनी कमाई को दुगुना से अधिक तक बढ़ा सकते हैं इसके लिए बकरी की उन्नत नस्ल का चयन करना आवश्यक है तथा बकरी का आहार प्रबंधन आवास प्रबंधन तथा उसका स्वास्थ्य प्रबंधन बहुत ही जरूरी है जिसके अंतर्गत बकरी को सही समय पर गयाभिन करना बकरियों को स्टॉल फीडिंग करना तथा गर्भ धारण के शुरुआती समय तथा गर्भ के अंतिम समय में उसको दाना और आहार देना यह एक महत्वपूर्ण है बकरी पालन एक वैश्विक स्तर पर भी बकरियों से प्रारंभ करना चाहिए।

Bakari Palan से जुड़ी जानकारी दी गई

विशिष्ट अतिथि पशुपालन विभाग के लेखाकार युधिष्ठिर ने पशुपालन विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के संबंध में जानकारी प्रदान की। विशिष्ट अतिथि पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. रावताराम भाखर ने बकरी पालन में शुरुआती निवेश भी बहुत कम होता है बल्कि बकरियों की देखरेख और उनके खर्च भी बहुत कम होता है लागत के मुकाबले बकरी पालन से होने वाली कमाई का अनुपात दो से तीन गुना तक हो सकता है बशर्ते वैज्ञानिक ढंग से बकरी पालन किया जाए।

बकरियों की खाद (मिगनी) भी बहुत उपयोगी होती है तथा इनकी खाद एक बार डालने के बाद 6-7 साल तक जमीन को प्रचुर मात्रा में पोषण तत्त्व देती रहती है किसान की फसलों के उत्पादन आमदनी में भी बढ़ोतरी होती है। यह जानकारी आईजी फाउंडेशन के रमेश कुमार राठौड़ ने दी।

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