14th Asian Fisheries and Aquaculture Forum: केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज नई दिल्ली के पूसा परिसर में 14वें एशियाई मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि फोरम (14एएफएएफ) का उद्घाटन किया, जो वैश्विक मत्स्यपालन एवं जलीय कृषि में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। आइए जानते हैं द स्टोरी पर पूरी खबर।
14th Asian Fisheries and Aquaculture Forum में मत्स्य मंत्री ने क्या कहा?
इस अवसर पर बोलते हुए राजीव रंजन सिंह ने स्थायी मत्स्यपालन के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बन गया है। मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल मत्स्यपालन प्लेटफॉर्म और पोत निगरानी, ट्रांसपोंडर और आपातकालीन सजगता जैसे अत्याधुनिक डिजिटल समाधानों को लागू कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना में मछुआरों और मछली पालकों को भी शामिल किया गया है।
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मत्स्यपालन के क्षेत्र में शुरु की कई योजनाएं
मत्स्यपालन क्षेत्र के लिए विभिन्न बीमा योजनाएं भी शुरू की गई हैं। उन्होंने देश में मत्स्यपालन विकास में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के योगदान को मान्यता देते हुए इसकी तकनीकी पेशकशों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शोध संस्थानों को मछुआरों और किसानों द्वारा वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाने में सुधार लाने के लिए केवीके को शामिल करते हुए क्षमता निर्माण पहल करनी चाहिए। उन्होंने 14 एएफएएफ एक्सपो का भी उद्घाटन किया, जो एक प्रमुख आकर्षण था, जिसमें राज्य मत्स्य पालन विभागों, शिक्षाविदों, शोध संस्थानों और उद्योग के हितधारकों को तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन करने के लिए एक साथ लाया गया।

कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा 75 नई मत्स्य पालन प्रौद्योगिकियां और उन्नत मछली किस्में विकसित की गई हैं, जो दीर्घकालिक उद्योग लचीलेपन के लिए स्थायी, कार्बन-तटस्थ मत्स्य पालन और जलीय कृषि के प्रति भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की प्रतिबद्धता पर बल देती हैं।
मत्स्यपालन पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने सरकार की परिवर्तनकारी पहलों, पर्याप्त निवेश और भारत की नीली अर्थव्यवस्था के लिए नवाचार को बढ़ावा देने में स्टार्टअप की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला ।
‘पद्मश्री‘ डॉ. एस. अय्यप्पन, पूर्व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग और महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मत्स्य अनुसंधान में भारत के नेतृत्व पर प्रकाश डाला और 14 एएफएएफ को एशिया के मत्स्य शोधकर्ताओं का महाकुंभ बताया।
वर्ल्डफिश, मलेशिया के महानिदेशक डॉ. एस्साम यासीन मोहम्मद ने मत्स्य पालन में वैश्विक नवाचारों पर बात की और स्थायी जलीय कृषि में परिवर्तनकारी पहल के लिए भारत की सराहना की ।
एशियाई मत्स्य पालन सोसायटी, कुआलालंपुर के अध्यक्ष प्रोफेसर नील लोनेरागन ने वैश्विक स्तर पर मत्स्य पालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर बल दिया ।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान) और 14एएफएएफ के संयोजक डॉ. जेके जेना ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि यह फोरम मत्स्य पालन और जलीय कृषि के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में भारत और विदेश के प्रसिद्ध विशेषज्ञों द्वारा 20 से अधिक प्रमुख प्रस्तुतियाँ दी जाएंगी, जिसमें 24 देशों के 1,000 प्रतिभागी भाग लेंगे।
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इस सत्र में गणमान्य व्यक्तियों द्वारा विभिन्न प्रकाशनों और प्रौद्योगिकियों का विमोचन भी किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन एशियाई मत्स्य पालन सोसायटी (एएफएस), कुआलालंपुर द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), मत्स्य पालन विभाग (डीओएफ), भारत सरकार और एशियाई मत्स्य पालन सोसायटी भारतीय शाखा (एएफएसआईबी), मैंगलोर के सहयोग से किया गया था।
15 वर्षों के बाद भारत में 14वें एएफएएफ की मेज़बानी करना वैश्विक मत्स्य पालन और जलीय कृषि में देश की बढ़ती प्रमुखता को दर्शाता है। तेज़ी से फैलती नीली अर्थव्यवस्था, प्रगतिशील नीतियों और वैज्ञानिक प्रगति के साथ, भारत स्थायी मत्स्य पालन में अग्रणी के रूप में उभर रहा है। यह मंच भारत के योगदान को प्रदर्शित करने, वैश्विक साझेदारी को मज़बूत करने और भविष्य के लिए स्थायी जलीय कृषि पहलों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
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